बिहार की सड़कों पर हादसों की घटनाएं आम हैं, लेकिन शुक्रवार को NH-28 पर एक ऐसी घटना हुई जिसने वहां के लोगों को हक्का-बक्का कर दिया। एक पिकअप वैन अचानक आग का गोला बन गई। सौभाग्यवश, ड्राइवर की हुई बाल-बाल बचत समय रहते वाहन से बाहर निकलकर अपनी जान बचा ली। लेकिन गाड़ी में लदी पेट्रोल पंप की मशीन पूरी तरह से जलकर राख हो गई।
कैसे हुआ हादसा?
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह पिकअप NH-28 पर तेज गति से जा रही थी। अचानक, उसमें से शॉर्ट सर्किट जैसी चिंगारी निकलने लगी और देखते ही देखते वाहन आग की लपटों में घिर गया। इस गाड़ी पर पेट्रोल पंप के लिए इस्तेमाल होने वाली एक भारी मशीन रखी हुई थी, जो आग लगते ही धमाके जैसी आवाज के साथ जल उठी।
ड्राइवर ने तेजी से प्रतिक्रिया देते हुए तुरंत गाड़ी रोकी और किसी तरह बाहर निकल आया। यदि वह कुछ सेकंड भी और रुकता, तो उसकी जान को खतरा हो सकता था।
दमकल की टीम की देरी
घटना स्थल पर अफरातफरी का माहौल बन गया। लोगों ने आग बुझाने के प्रयास किए, परंतु आग की तीव्रता इतनी अधिक थी कि उपलब्ध संसाधन असफल रहे। तुरंत दमकल विभाग को सूचना दी गई, लेकिन टीम को स्थल पर पहुंचने में काफी समय लगा। इस बीच, पूरी गाड़ी और मशीन जलकर राख हो गई।
स्थानीय निवासियों का मानना है कि यदि दमकल समय पर आती, तो नुकसान को कुछ हद तक रोका जा सकता था। यह लापरवाही न केवल गाड़ी के मालिक के लिए भारी नुकसान का कारण बनी, बल्कि आस-पास की सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा खतरा उत्पन्न कर गई।
घंटों जाम में फंसे लोग
इस घटना के चलते NH-28 पर एक बड़ा जाम लग गया। बीच सड़क पर खड़ी एक जलती हुई पिकअप ने यातायात को पूरी तरह से बाधित कर दिया। ट्रकों, बसों, और निजी वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। यात्रियों को कई घंटों तक धूप में खड़ा रहना पड़ा। कुछ लोगों ने रास्ता बदलने का निर्णय लिया, जबकि कई लोग जाम के खुलने का इंतजार करते रहे।
स्थानीय प्रशासन और पुलिस की टीम ने मौके पर पहुंचकर यातायात को धीरे-धीरे अन्य रास्तों पर मोड़ना शुरू किया। हालांकि, जाम से पूरी तरह मुक्ति पाने में कई घंटे लग गए।
ड्राइवर ने अपनी दुखद कहानी साझा की।
इस आपदा से बचने के बाद, वह काफी भयभीत था। उसने कहा, “मुझे लगा जैसे मौत बलात्कारी सामने खड़ी है। जैसे ही मैंने धुएं का गुब्बार देखा, मैं तुरंत गाड़ी को सड़क के किनारे ले गया और कूद पड़ा। अगर मैं थोड़ी देर और रुक जाता, तो शायद आज जीवित नहीं होता।”
उसने यह भी बताया कि गाड़ी में जो मशीन मौजूद थी, उसकी कीमत लाखों में थी। इसके चलते मालिक को गंभीर आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है।
सुरक्षा के मुद्दे उठते हैं
इस दुर्घटना ने कई महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए हैं। पहला यह है कि क्या गाड़ियों की तकनीकी जांच नियमित अंतराल पर की जाती है? दूसरा, दमकल विभाग की तत्परता पर भी गंभीर सवाल हैं। जब मुख्य राष्ट्रीय मार्ग पर एक दुर्घटना के मामले में फोर्स की पहुंच में देरी होती है, तो ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति का अंदाजा सहज लगाया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त, NH-28 जैसी व्यस्त सड़क पर अग्नि सुरक्षा और ट्रैफिक प्रबंधन की व्यवस्था कितनी प्रभावी है, यह घटना एक स्पष्ट संकेत देता है।
निष्कर्ष
बिहार में NH-28 पर हुई यह दुर्घटना केवल एक साधारण सड़क हादसा नहीं है, बल्कि यह प्रणाली में मौजूद खामियों की ओर भी संकेत करती है। जहां एक ओर चालक की सतर्कता ने उसकी जान बचा ली, वहीं दूसरी ओर आग बुझाने में हुई देरी और यातायात व्यवस्था में कमी ने प्रशासन की तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस तरह के हादसों से सीख लेने की आवश्यकता है। गाड़ियों की नियमित जांच, फायर ब्रिगेड की समय पर तैनाती और राजमार्ग पर सुरक्षा उपायों को मजबूत करना अत्यंत आवश्यक है। नहीं तो, अगली बार ऐसी कोई घटना और भी बड़े नुकसान का कारण बन सकती है।
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