बिहार में रेल यात्रा को लेकर 17 सितंबर का दिन महत्वपूर्ण साबित हुआ, जब दानापुर-जोगबनी वंदे भारत एक्सप्रेस का शुभारंभ हुआ। रेलवे प्रशासन और सरकार ने इस ट्रेन को लेकर कई बड़े वादे किए थे, यह कहते हुए कि यह यात्रियों के सफर के अनुभव को पूरी तरह से बदल देगी। हालांकि, शुरुआत में ही इस की हाई-टेक ट्रेन में यात्रियों की कमी का हाल कुछ और ही कहानी कहता दिखा। पहले दो दिनों में भी नहीं मिले 200 यात्री ही इस ट्रेन के सफर का लाभ ले सके।
वंदे भारत की सीटों में कमी
वंदे भारत ट्रेन को अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ प्रस्तुत किया गया था। इसमें आरामदायक सीटें, बेहतर गति और उन्नत सेवाओं का वादा किया गया था। लेकिन वास्तव में देखा जाए तो इसके शुरूआती दो दिनों में ट्रेन की ज्यादातर सीटें खाली रहीं। मुजफ्फरपुर से तो एक भी टिकट बुक नहीं हुआ। यात्रियों की कमी को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि रेलवे को अभी इस ट्रेन की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए और प्रयास करने की आवश्यकता है।
ट्रेन की लेटनेस
वंदे भारत ट्रेन की समयबद्धता के मामले में पहले ही दिन से ही सवाल उठने लगे हैं। ट्रेन ने निर्धारित समय पर स्टेशन पर पहुंच नहीं पाई। यात्रियों ने चिंता जताई है कि यदि ट्रेन समय पर नहीं चलेगी, तो वे इतनी महंगी टिकट क्यों खरीदें? खासकर बिहार जैसे राज्यों में लोग समय और किराए की दोनों बातों का विशेष ध्यान रखते हैं। ऐसे में ट्रेन की देरी यात्रियों में नकारात्मक प्रभाव डाल रही है।
हाई-टेक ट्रेन में यात्रियों की कमी: किराया बनी बड़ी समस्या
विशेषज्ञों और यात्रियों का मानना है कि वंदे भारत एक्सप्रेस की सीटें खाली रहने का मुख्य कारण इसका उच्च किराया है। बिहार में अधिकांश लोग साधारण और स्लीपर क्लास से यात्रा करना पसंद करते हैं। जबकि वंदे भारत का किराया सामान्य एक्सप्रेस ट्रेनों की तुलना में काफी अधिक है।
यात्रियों का कहना है कि अगर गंतव्य तक पहुँचने के लिए किफायती विकल्प मौजूद हैं, तो वे वंदे भारत में अधिक पैसे क्यों खर्च करें? यही कारण है कि यह ट्रेन अब तक आम जनता की पहली पसंद नहीं बन पाई है।
प्रचार–प्रसार की कमी
रेलवे ने वंदे भारत ट्रेन को लॉन्च करने का कार्य तो पूरा किया, लेकिन इसके लिए उचित प्रचार-प्रसार नहीं किया गया। कई यात्रियों को यह जानकारी ही नहीं थी कि उनके क्षेत्र से यह ट्रेन शुरू हुई है। इसके अलावा, ट्रेन के मार्ग, समय सारणी और सुविधाओं के बारे में जानकारी का अभाव भी सीटों के खाली रहने का एक कारण माना जा रहा है।
निष्कर्ष
दानापुर-जोगबनी वंदे भारत एक्सप्रेस का सफर मुजफ्फरपुर में कुछ मुश्किलों से गुजर रहा है। शुरुआत के दो दिनों में केवल 200 यात्रियों की संख्या और मुजफ्फरपुर से टिकटों की कोई बुकिंग न होना चिंता का विषय है।
यह स्पष्ट है कि बिहार जैसे राज्य में, जहां लोग रोज़ काम के लिए यात्रा करते हैं, वहां महंगी और समय पर न चलने वाली ट्रेनें ज्यादा लोकप्रिय नहीं हो पाएंगी। रेलवे को यह समझना आवश्यक है कि केवल हाई-टेक सुविधाएं ट्रेन की सफलता का आधार नहीं बन सकतीं; यात्रियों की आवश्यकताएँ, बजट और भरोसा ही असली ताकत हैं।
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