मुजफ्फरपुर के कुढ़नी थाना क्षेत्र में 9 वर्षीय बच्ची के साथ हुई दुष्कर्म और हत्या की घटना ने पूरे बिहार को हिलाकर रख दिया था। कुढ़नी दुष्कर्म कांड में 112 दिनों के बाद फैसला आया विशेष पॉक्सो कोर्ट ने इस गंभीर मामले में आरोपी रोहित को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाने का आदेश दिया। यह निर्णय पीड़िता के परिवार और समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
घटना का संक्षेप
लगभग चार महीने पहले, कुढ़नी के एक गांव में 9 वर्षीया एक बच्ची अचानक गायब हो गई। काफी खोजबीन के बाद उसका शव गांव के निकट पाया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह सामने आया कि दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या की गई थी। इस घटना ने क्षेत्र में गहरा आक्रोश उत्पन्न कर दिया। ग्रामीणों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया और आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की।
आरोपी की पहचान और गिरफ्तारी
पुलिस जांच के दौरान पता चला कि इस भयावह मामले का अपराधी रोहित कुमार सहनी है, जो उसी गांव का निवासी है। घटना के कुछ दिनों के भीतर ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया और जेल में डाल दिया गया। आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट सहित भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 376 (दुष्कर्म) और अन्य गंभीर धाराएँ लगाई गई हैं।
त्वरित सुनवाई और निर्णय
विशेष पॉक्सो न्यायालय ने इस मामले में त्वरित परीक्षण का आदेश दिया था। नतीजतन, केवल 112 दिनों में सुनवाई समाप्त कर कोर्ट ने रोहित को दोषी ठहराया। यह तेज़ न्याय प्रक्रिया उन मामलों के लिए एक उदाहरण है, जहाँ अक्सर फैसले वर्षों तक लटके रहते हैं।
कोर्ट का माहौल
फैसले के समय अदालत का कक्ष भरा हुआ था। रोहित को जेल से लाकर अदालत में पेश किया गया। उसके चेहरे पर कोई पछतावा नहीं था, हालांकि उसके खिलाफ गुनाह साबित हो चुका था। दूसरी तरफ, पीड़िता का परिवार पूरी प्रक्रिया के दौरान दर्द और उम्मीद के बीच झूलता रहा। उनके पास सिर्फ एक ही मांग थी—दोषी को फाँसी की सजा दी जाए।
समाज में गुस्सा और संदेश
इस घटना ने समाज के लोगों की भावनाओं को गहरा आघात पहुँचाया है। 9 वर्षीय एक निर्दोष बच्चे के साथ हुई बर्बरता ने सभी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर बेटी सुरक्षा के बिना कब तक रहेंगी। फैसले के तुरंत बाद, कई लोगों ने कहा कि यह एक सख्त संदेश है उन अपराधियों के लिए, कि कानून उन्हें जल्दी पकड़कर दंडित कर सकता है।
न्यायिक व्यवस्था से सीख
इस मामले ने यह स्पष्ट किया कि जब न्यायिक प्रणाली ईमानदारी और तत्परता से कार्य करती है, तो त्वरित न्याय प्राप्त किया जा सकता है।
- तेज सुनवाई से प्रभावित परिवार को सहारा मिलता है।
- यह अपराधियों में कानून का डर उत्पन्न करता है।
- इसके परिणामस्वरूप, समाज में न्याय व्यवस्था पर विश्वास बढ़ता है।
आगे की प्रक्रिया
वर्तमान में, अदालत ने केवल दोषी ठहराने का निर्णय लिया है। अगली सुनवाई में सजा पर चर्चा की जाएगी। कानूनी जानकारों का कहना है कि इस अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए रोहित को कड़ी सजा मिल सकती है।
निष्कर्ष
मुजफ्फरपुर के कुढ़नी दुष्कर्म और हत्या मामले ने बिहार को झकझोर कर रख दिया। महज 112 दिनों में आया यह निर्णय न्यायिक प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन गया है। अब सभी की नजरें इस पर हैं कि अदालत रोहित को क्या सजा सुनाएगी। पीड़िता का परिवार और समाज यह अपेक्षा कर रहा है कि इस दरिंदे को ऐसी सजा दी जाए, जिससे भविष्य में कोई और निर्दोष ऐसी बर्बरता का शिकार न हो।
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